मक्खनबाजी के लिए सरोपा देना क्राइम

उन्होंने कहा- मैं बहुत व्यथित हूं। मैंने घटना के अगले दिन सुबह ही इंदौर छोड़ दिया। सिख समाज में सरोपा की अहमियत होती है। किसी को भी बटरिंग के लिए सरोपा दे दिया, ऐसा नहीं होता। उसकी एक आत्मिक वैल्यू होती है। किसी को भी सरोपा दे देना ईश निंदा जैसा अपराध है।
कमलनाथ 1984 के दंगों के गुनाहगार कहे जाते हैं। उन पर केस चल रहे हैं। ऐसे में गुरु नानक के प्रकाश पर्व पर उनका सम्मान सिख समाज कैसे बर्दाश्त करेगा? कोई भी व्यक्ति हिंदू धर्म पर वार करे और उस व्यक्ति को रामनवमी या किसी शुभ अवसर पर सरोपा से सम्मानित करे तो कैसा लगेगा? इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
सरोपा उस व्यक्ति को दिया जाता है जो कौम, देश आदि के लिए पूरी तरह समर्पित हो जाए। किसी ने बहुत बड़ा काम किया हो उसे दिया जा सकता है। सिर से पांव तक उसकी इज्जत भगवान ने ढंक ली, गुरु ने ढंकी ली, यही इसका अर्थ यह है। इस सरोपा की कदर इन लोगों (गुरु सिख सभा के सचिव राजा गांधी व अन्य पदाधिकारी) ने ऐसी कर दी कि कोई भी आए बस बटरिंग के तौर पर उसे दे दी, यह तो नहीं होता।